Thursday, April 30, 2009

आज मैंने ऊँगली की - मेरे देश के भविष्य से

पहली बार ज़िन्दगी मैं, हमारी राष्ट्रभाषा मैं ब्लॉग लिखने की कोशिश कर रहा हूँ।
हिन्दी भाषा के प्रेमी, विशेषज्ञ, और बीते हुए कई विद्वानों की आत्माओं से मैं अपनी कच्ची भाषा की माफ़ी चाहूँगा।

आज हमारे देश के केंद्रीय चुनाव का चरण, मेरे शहर मुंबई मैं हुआ। काफ़ी दिनों से तमन्ना थी के मैं अपने देश के भविष्य मैं कुछ ऊँगली करूँ। आज मुझे ऊँगली करने का अच्छा अवसर मिला, वोह भी बीच वाली ऊँगली करने का!
सबसे अच्छी बात यह थी के अन्य जगहों पर ऊँगली करने से काफ़ी अलग, यहाँ, देश के भविष्य मैं ऊँगली करने के लिए केवल ३ मिनट का समय लगा।

३ मिनट मैं जितना ऊँगली करना था, हम कर लिए। सबूत के लिए, ऊँगली पर ऐसी दाग लगा दी सरकार ने के हम गाते ही रहगये - " लागा ऊँगली मैं दाग मिटाऊँ कैसे, घर जाऊं कैसे??"।
तीन मिनट से ज्यादा ऊँगली करने की सरकार ने इजाज़त न दी। उसके आगे पाँच साल तक ऊँगली करेंगे हमारे चुने हुए नेता। और हैरत की बात यह है के पाँच साल ऊँगली करने के बाद भी, उनपर एक भी दाग न होगा।

उम्मीद करता हूँ मेरे दोस्तों, आप सबने जी भर के ऊँगली की हमारे देश के भविष्य से। अगला मौका आसानी से हाथ न आएगा। और इस पाँच साल के दौरान, हाला के हम ऊँगली नही कर पाएंगे, हमारे पास होगा एक विशेष प्रजातान्त्रिक अधिकार। गांधीजी के प्रसिद्ध तीन बंदरों मैं से किसी एक का रूप और अंदाज़ धारण करने का हमें पूरा मौका दिया जाएगा।

याने - अगर सरकार और उनके शागिर्दों का किया बुरा देखे अथवा सुने, तो चुप्प रहिये। बाकी दो बंदरों के उपयोग का आप ख़ुद अनुमान लगायें।

आशा करता हूँ के आपके इलाके मैं सही ऊँगली-द्वार ,,, मेरा मतलब उम्मिद्वार चुन आए।

जय प्रजातंत्र । जय भारत माता । और पिता... जो भी चुन आए ।

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